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Meri adhlikhe kavitaein
Sunday, November 1, 2009
''जब तुम मिली''
जिंदगी में बिखरे थे,
न जाने कांटे कितने,
तुम मिली तो,
खिल गए न जाने फूल कितने!!
जिंदगी एक अधूरा
खवाब नज़र आता है,
तुमसे मुलाकातों का,
एक-एक पल याद आता है!!
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