ये बात नहीं है कि,
तुम मेरे जीवन में,
कभी आती नहीं हो,
आती हो,
बार बार आती हो!
सुगंध के एक झोके की तरह,
और,
बीते हुए दिनों की खुशबू,
अपने साथ लाती हो,
आती हो,
बार बार आती हो!
कल्पना की एक छाया की तरह आकर,
मुझे अपने साथ लेकर,
भूतकाल के खंडहरों में घुमती हो,
आती हो,
बार बार आती हो!
पर तुम एक ही पल में,
अदृश्य कहाँ हो जाती हो,
क्या तुम मुझे,
सिर्फ सताने आती हो,
मैं तो तुम्हे,
अपने पास पाकर,
दौड़ता हूँ,
तुम्हे कर बद्ध करने को,
तुम्हे करापाश में भरने को,
पर,
पर मेरे हाथ,
पर मेरे हाथ खुले ही रह जाते हैं,
और तुम,
तुम गायब हो जाती हो!
तो फिर क्यों आती हो,
उत्तर दो...........
क्यों आती हो?
क्यों आती हो?
क्यों आती हो?
क्यों आती हो?
आती हो,
बार बार आती हो!
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