Monday, September 21, 2009

***************सपना********************

सपने टूटे,
उम्मीदें बिखरी,
अपने हुए पराये,
अब चादर के घेरे से,
मैं पैर निकलना चाहता हूँ!

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हर सपने के पीछे,
एक सत्य दिखाई देता है,
पर मेरा सपना,
एक दिवा स्वप्न है,
यह खुली हुई आँखों से देखा,
मन की इच्छाओ से बना हुआ,
एक अधूरा वृत्त चित्र है,
वो भी रंग हीन!

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