मैंने अपनी किताबों में रख रखे हैं
वो फूल
जो वो मुझे
अपनी चिट्ठियों में भेजती थी
उन चिट्ठियों
और
उसकी यादों कि एक
लम्बी श्रंखला है
और उस श्रंखला की एक एक कड़ी में
निहित मेरा जीवन
उसकी यादें मेरी परछाई हैं
रात रानी की खुशबू,
समंदर के तेज थपेड़े
घास के मोती
और शहर के आम रास्ते
जिन जिन के साथ
मेरा उसका साथ रहा
मुझे वक़्त बेवक्त रोक लेते हैं
और सवाल करते हैं
आज अकेले ही
शायद वो नहीं जानते
की मैं अकेला कभी नहीं होता हूँ
वो हर वक़्त मेरे साथ होती है
मेरे मन ,मेरे ह्रदय , मेरे मस्तिस्क पर
बस उसका ही नियंत्रण है,
उसके बिना मेरी कल्पना ही
नहीं की जा सकती
वो हर वक़्त मेरे साथ
यादों की तरह होती है
यादों की तरह होती है
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pata nahi tha ki likhte bhi ho..
ReplyDeletebahut hi sundar..