Saturday, August 8, 2009

+++कुछ पुरानी यादें+++

जीत जायेगे हम,
इस उम्मीद में बैठे हैं,
उम्मीद की उम्मीद में,
उम्मीद गवां बैठे हैं!

बैठा हुआ हूँ मैं,
और ये महफिल सजी है,
आज फिर रोया मेरा दिल,
दूर कहीं शहनाई बजी है!

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मायूस जिंदगी है,
हैं सांसे तन्हां तन्हां,
कहाँ खो गए हो तुम,
मैं ढूनू कहाँ कहाँ?

रुसवा हुए हो तुम,
रुसवा सारा जहाँ है,
मेरे खुदा बता दे,
मेरी जिंदगी कहाँ है?

2 comments:

  1. Yahan hai aapki Jindagi ........ Aapki Kavitaon mein ........
    Kavitayein likhtey rahiye aur aapni jindagi jeety rahiye......kyonki ek kavi ki asli jindagi to uski kavitaon mein hi basti hai.....bhautik sukh ka param aanand to sabhi letein hain parantu aatmik sukh (antaraatma) ka aanand to ek kavi hi le sakta hai .........

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