मत आओ मेरे जीवन में,मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा!!
मत आओ मेरे जीवन में,मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा!!
सिद्धांत हमारा जीवन है,
तुम लौकिक जग में जीती हो!
मैं जिस बंधन से दूर आ चुका,
तुम उस बंधन में रहती हो!!
मैं तुमको उस मिथ्या जीवन सा संसार नहीं दे पाऊँगा!
मत आओ .............
मैंने पुरजोर उजालो में,
अंधियारे को देखा है!
उस रेखा से दूर आ चुका,
जो की जीवन रेखा है!!
मैं तुमको उस जीवन रेखा का आधार नहीं दे पाऊँगा!
मत आओ .............
मैं भ्रमित भ्रमित सा दिन में रहता,
रहता हूँ कुंठित मैं रातो को!
मुझको तुम न बातो में बहकाओ,
है मैंने जीता बातो को!!
मैं कुंठित मन से तुमको इच्छाओ का प्रतिकार नहीं दे पाऊँगा!
मत आओ .............
टूट गया हर स्वप्न यहाँ तो,
और टूटी हर आशा है!
मेरी केवल प्यास न पूंछो,
यहाँ आधा जग ही प्यासा है!!
ऐसे हालातो में मैं तुम को जल धार नहीं दे पाऊँगा!
मत आओ .............
अमृत भी तो गरल हुआ है,
हर पौरुष अब निबल हुआ है!
जो भी चलता सत्य राह पर,
देखो कौन सफल हुआ है!!
तुम सत्य झूठ में किसे चुनो ये अधिकार नहीं दे पाऊँगा!
मत आओ .............
घर में लोग सिसकते हैं,
और जाने कितने भूखो मरते हैं!
कितने पापी पेट की खातिर,
जाने क्या क्या करते हैं!!
इस क्षुधा अग्नि के घर में रहकर मैं तुमको श्रंगार नहीं दे पाऊँगा!
मत आओ मेरे जीवन में,मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा!!
मत आओ मेरे जीवन में,मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा!!
मत आओ मेरे जीवन में,मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा!!
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achchha hai bhai viraag ji.
ReplyDeletenaam ke a anuroop ki aap me vairagya paida ho gaya hai.
अच्छा आगाज।
ReplyDeleteGreat man i was not aware aap k ander itna accha Kavi chuppa hai. Keep it up. Hum to fan ho gaye aap ke.
ReplyDeleteaap k soch itne gahre hai ye nahi pat tha good
ReplyDeleteआखिरी पद अच्छा लगा...
ReplyDeleteशुभकामनाएं....
V.V.Nice. Keep it up!
ReplyDeleteachcha laga very nice well done keep it
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteचिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.
गुलमोहर का फूल
gahari rachna. magar ham to aa gaye. ab payar bhee pa hee lenge.narayan narayan
ReplyDeleteYeh kavita jeevan ka ek aisa satya ujagar karti hai jise aaj hum sabhi bhul chukey hain.Jeevan ke sidhanth,mulya,balidaan,apno ki khushi bas ye shabd bhi ab paraye se lagtey hain.Sahi mein hum ek mithya sansaar mein jee rahein hain........
ReplyDeleteBhaut khub likha hai aapne,hum to pehle se hi aapki kavitaon ke kayal thy par aaj aapki itni gehari rachna padh kar aapke bhi kayal ho gaye.......
This comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeletesuper hit sher-o-shayari... ka khazana ...
ReplyDeletehamare virag babu k kalam se logon tak pahuchana...
isi ko kehte hain aaj k rocking youth ka ZaMana...
Common ROCK ON!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
mast hai dadu ye kab se aa gya apkooooooo..........................................................
ReplyDeleteits brilliant
ReplyDeleteYeh kavita jeevan ka ek aisa satya ujagar karti hai jise aaj hum sabhi bhul chukey hain.Jeevan ke sidhanth,mulya,balidaan,apno ki khushi bas ye shabd bhi ab paraye se lagtey hain.Sahi mein hum ek mithya sansaar mein jee rahein hain........
ReplyDeleteBhaut khub likha hai aapne,hum to pehle se hi aapki kavitaon ke kayal thy par aaj aapki itni gehari rachna padh kar aapke bhi kayal ho gaye.......